सूरज और चंदा दोनों एक ही ऑफिस
में नौकरी करते थे | वह दोनों ही कुंवारे और हमउम्र थे | चंदा बहुत ही सुंदर थी और
सूरज भी समझदार और हंसमुख स्वभाव का था | जल्द ही वह एक दूसरे की ओर आकर्षित हो गए
| उन्होंने शादी करने का निर्णय कर लिया | दोनों के परिवारों ने भी इस विवाह के लिए
अपनी सहमति दे दी |
जल्द ही दोनों विवाह के बंधन
में बंध गए | उनका विवाहित जीवन आपसी समझ-बूझ के साथ बहुत ही सुख पूर्वक बीत रहा था
| एक दिन अचानक चंदा को चर्म रोग हो गया |
चंदा का अच्छे डॉक्टरों से इलाज भी करवाया |
रोग ठीक नहीं हुआ और बढ़ने लग गया था | जल्दी ही चंदा की सुंदरता समाप्त हो गई
| चंदा जब भी अपनी शक्ल आईने में देखती तो उसे बहुत दुख और पीड़ा होती | अब वह उदास
रहने लगी थी | दिनों दिन शरीर पर चर्म रोग के बढ़ते प्रभाव के कारण उसकी सुंदरता तेजी
से कुरूपता में बदलती जा रही थी |
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उसे डर था कि सूरज का प्यार उसके
प्रति जल्द ही समाप्त हो जाएगा | वह अपने आप को सूरज के ऊपर एक बोझ समझने लगी थी |
जबकि सूरज अभी भी चंदा को पहले की तरह ही प्यार करता था और उसकी अच्छी तरह से देखभाल
कर रहा था | चंदा ने सूरज को दूसरा विवाह करने के लिए कहा | सूरज ने यह कहकर साफ इंकार
कर दिया कि वह चंदा का साथ छोड़ने की कल्पना भी नहीं कर सकता | चंदा ने सूरज पर दूसरा
विवाह करने का दबाव बनाने के लिए उसे आत्महत्या करने की धमकी दी|
अगले ही दिन जब सूरज ऑफिस से
वापस घर आ रहा था उसका सड़क पर एक्सीडेंट हो गया जिस कारण उसे दिखाई देना बंद हो गया
| सूरज चंदा की बदसूरती को अब नहीं देख सकता था इसलिए चंदा की उदासी भी अब समाप्त हो गई थी | अब चंदा ने भी सूरज
का साथ कभी न छोड़ने का फैसला कर लिया | दोनों पहले की तरह प्यार से एक दूसरे के साथ
रहने लगे |
कुछ समय के बाद बीमारी के कारण
चंदा की मृत्यु हो गई | मृत्यु के बाद एक आश्चर्य यह हुआ कि सूरज सब कुछ ठीक से देखने
लगा था | सूरज के मित्र ने उससे पूछा तुम अंधे होने के बाद अचानक बिना इलाज के ठीक
कैसे हो गए | तब सूरज ने बताया की वह अपनी पत्नी के लिए अंधा होने का अभिनय कर रहा
था | चंदा को चर्म रोग होने के कारण यह लगता था की वह अब पहले जैसी सुंदर नहीं है | अपने आप को मेरे योग्य न मानकर
वह दुखी रहती थी | तब मैंने यह योजना बनाई कि यदि मैं अंधा हो जाऊं तो वह हमेशा खुश
रह सकती है | उसके जीवन में खुशियों के रंग भरने के लिए मुझे यह अभिनय करना पड़ा |
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