एक सनकी राजा था | वह बहुत ही निर्दयी था | वह प्रजा द्वारा
की गई छोटी-छोटी गलतियों के लिए भी मौत की सजा दे देता था | उसने खूंखार शिकारी कुत्ते
पाले हुए थे | वह जिसे मौत की सजा देता था उसको तत्काल इन खूंखार जंगली शिकारी कुत्तों के आगे फेंक दिया
जाता था कुत्ते उसकी बोटी बोटी करके खा जाते थे | एक दिन वह अपने सबसे
वफादार मंत्री से भी किसी बात पर नाराज हो गया और अपनी आदत के मुताबिक उसको मौत की
सजा सुना दी |
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मौत की सजा दिए जाने से
पहले राजा ने मंत्री से उसकी आखिरी इच्छा पूछी | मंत्री ने राजा से प्रार्थना की
"हे राजन मैंने आपकी पिछले 40 सालों से
पूरी वफादारी के साथ सेवा की है | मै मरने से पहले आपसे केवल चार दिन का समय चाहता
हूं" | राजा ने मंत्री की प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसे चार दिन का समय दे दिया
| 4 दिन के बाद मंत्री सजा पाने के लिए स्वयं ही निर्धारित स्थान पर पहुंच गया | राजा
के आदेश पर सैनिकों ने मंत्री को पकड़ कर शिकारी कुत्तों के पिंजरे में फेंक दिया
|
राजा और वहां पर उपस्थित
अन्य लोग यह देखकर हैरान रह गए कि शिकारी कुत्तों ने मंत्री को पर हमला नहीं किया
| वह खूंखार शिकारी कुत्ते मंत्री को शांति के साथ देखते रहे और पालतू कुत्ते की तरह
पूंछ हिलाते रहे | राजा हैरान था कि यह शिकारी कुत्ते हैं | वैसे ही खूंखार है और इनको
खास ट्रेनिंग दी हुई है | इशारा करते ही यह अपने शिकार पर झपट पड़ते है और उस को जान
से मार देते हैं | कुत्तों के व्यवहार में आए बदलाव को राजा समझ नहीं पा रहा था |
राजा ने मंत्री से ही
पूछा कि "यह कुत्ते आप को काटने के स्थान पर बड़े प्यार से आपके पैर क्यों चाट रहे हैं" | मंत्री ने जवाब दिया
"हे राजन मैंने आपसे जो चार दिन का समय
लिया था उसमें मैं दिन-रात इन कुत्तों की सेवा
करता रहा अपने हाथों से इन्हें खिलाता पिलाता
रहा | इतने खूंखार होने के बावजूद भी यह मेरे द्वारा इनकी चार दिन की गई सेवा को याद
करके मुझ पर इतने प्रसन्न हैं कि यह मुझे काट नहीं रहे हैं | मेरा अहित नहीं कर रहें
हैं | लेकिन हे राजन मैं आपकी सेवा पिछले
40 वर्ष से कर रहा हूँ लेकिन आपने मेरी
एक छोटी सी गलती पर मेरी बरसों की स्वामिभक्ति
को भुलाकर मौत की सजा सुना दी” |
यह सुनकर राजा को अपने
सुनाये गए मृत्युदंड के गलत निर्णय का एहसास
हो गया | वास्तव में मंत्री ने ऐसी कोई बड़ी
गलती नहीं की थी कि उसे मृत्युदंड जैसी बड़ी सजा दी जाए | राजा ने मंत्री को
आजाद करने का आदेश दे दिया और भविष्य में किसी को भी ऐसी अमानवीय सजा न देने का संकल्प
किया | हम भी कई बार किसी की केवल एक छोटी सी गलती को याद करके उससे अपने रिश्ते तोड़
लेते हैं और उसकी बरसों की भलाई को भूल जाते हैं | जोश में होश नहीं खोना चाहिए बल्कि
सोच समझ कर उचित निर्णय लेना चाहिए |
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