ओम प्रकाश जी आज शहर के एक संपन्न व्यक्ति थे | ऐसा नहीं कि वह शुरू से ही संपन्न थे | उनका बचपन गरीबी और अभावों में बीता था | बाद में अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने तरक्की करनी शुरू की | उन्होंने अपनी युवावस्था में छोटे से काम-धंधे से शुरुआत की थी | जिसे कुछ ही वर्षों में उन्होंने अपनी मेहनत और लग्न से एक बड़े व्यवसाय का रूप दे दिया था | जीवन भर अथक संघर्ष करने के बाद वह संपन्नता के इस मुकाम तक पहुंचे थे | आज उनके पास एक बहुत ही आलीशान घर और बहुत बड़ा कई शहरों में फैला हुआ व्यवसाय था |
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इस दौरान उनमें एक कमी आती चली गई थी | बढ़ते हुए पैसे के साथ उनकी अकड़ भी बढ़ती चली गई थी | वह पूरी तरह नास्तिक हो गए थे | उन्हें यह लगता था कि वह अपनी मेहनत और लगन के कारण ही इतने सफल और संपन्न हुए हैं | इस सफलता के पीछे भगवान की कृपा वाली कोई बात नहीं है | वक्त तेजी से बदलता गया | अब ओम प्रकाश जी 75 वर्ष के हो गए थे | उनका व्यापार अब उनके बेटे ही संभालते थे |
ओम प्रकाश जी घर में बैठकर अखबार पढ़ लेते थे या अपने पोते-पोतियों के साथ खेल लेते थे | लेकिन अब कुछ दिनों से उन्हें धुंधला दिखाई देना शुरू हो गया था | अखबार के छोटे शब्द तो उन्हें दिखाई ही नहीं देते थे बल्कि वह बड़े अक्षरों में लिखे हुए मुख्य समाचार भी नहीं पढ़ पाते थे | धुंधला दिखाई देने के कारण कई बार वह ठोकर खाकर गिर जाते थे | कई बार बच्चे उनकी इस अवस्था का मजाक भी उड़ा देते थे |
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एक दिन वह अपनी आंखों का इलाज करवाने के लिए आंखों के स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास गए | डॉक्टर ने अच्छी प्रकार से आंखों की जांच की और उन्हें बताया कि उनकी आंखों में मोतियाबिंद हो गया है | दोनों ही आंखों का एक-एक करके ऑपरेशन करवाना होगा | एक आंख के ऑपरेशन पर लगभग ₹40000 का खर्चा आएगा | ऑपरेशन के बाद आपको फिर से साफ दिखाई देना शुरू हो जाएगा |
डॉक्टर की बात सुनकर ओम प्रकाश जी की आंखें भर आई | डॉक्टर को हैरानी हुई क्योंकि वह जानते थे कि ओम प्रकाश जी एक सक्षम व्यक्ति है | डॉक्टर के पूछने पर ओम प्रकाश जी ने कहां कि “अब तो मेरे जीवन के केवल कुछ वर्ष ही शेष रह गए हैं | जीवन के बचे हुए कुछ सालों में आंखों में ज्योति देने की कीमत आप अस्सी हजार रूपए बता रहे हो | जब कि भगवान ने मुझे 75 साल तक अच्छी आंखें, नाक और स्वास्थ्य जैसे अनमोल तोहफे बिल्कुल मुफ्त में दिए जिनकी मैं कभी कद्र करके भगवान का शुक्रिया ही अदा नहीं कर पाया” | किसी भी व्यक्ति द्वारा दी गई छोटी सी वस्तु के लिए भी हमें शुक्रिया अदा करना याद रहता है लेकिन सर्व सुख देने वाले भगवान का शुक्रिया अदा करना हम क्यों भूल जाते हैं |
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