पढ़िए : ईश्वर का चमत्कार
एक महान संत था | वह दिव्य ज्ञान
से भरे प्रवचन करता था और समाज कल्याण के कार्य करने में व्यस्त रहता था | संत की कुटिया
के बिल्कुल साथ ही एक दर्जी रहता था | वह सारे दिन कपड़े सिलता रहता था और भगवान के
भजन गाता रहता था | दर्जी की आवाज अच्छी थी और भजन भी वह दिल से गाता था | संत को भी
उसके भजन अच्छे लगते थे वह बड़े ध्यान से सुनता रहता था | लेकिन रात होते ही दर्जी
शराब पी लेता था और शराब पीने के बाद वह हंगामा करता था और बहुत जोर जोर से गालियां
निकालता था | संत इनको सुनकर अनसुना कर देता था | न तो संत दर्जी पर गुस्सा करता था
और न ही उसे कुछ कहता था | कई वर्षों से ऐसा ही सिलसिला चल रहा था | सभी पड़ोसी दर्जी
के शराब पीकर हंगामा करने से और गलियां देने से परेशान थे |
एक दिन संत ने नोट किया कि सारी
रात दर्जी के घर से हंगामा करने की या गालियां देने की कोई आवाज नहीं आई | उसे बहुत
आश्चर्य हुआ कि आज दर्जी इतना शांत क्यों है | सुबह होने पर संत ने अपने शिष्यों से
दर्जी के बारे में पूछा तो शिष्यों ने उसे बताया कि पड़ोसियों की शिकायत करने पर राजा
के सैनिक उसे पकड़ कर दंडित करने के लिए ले गए हैं |
पढ़िए : आपके कर्म ही आपका भविष्य हैं
यह सुनकर संत राजा के दरबार मैं
चला गया | राजा ने पहले ही संत की महानता और विद्व्ता के कई किस्से सुने हुए थे | राजा संत को राजभवन में बुलाकर सम्मानित करना चाहता
था | राजा ने कई बार संत को राजभवन में आने के लिए आमंत्रित किया | लेकिन संत ने राज भवन में आकर सम्मान प्राप्त करने का आमंत्रण विनम्रता पूर्वक ठुकरा दिया था | राजा ने उसे जीवन
यापन के लिए राजकीय सहायता भी भेजी थी | उसे भी संत ने विनम्रता पूर्वक अस्वीकार कर
दिया था | राजा संत को राज दरबार में देखकर प्रसन्न हुआ | उसने संत का आदर सत्कार किया
और उसे अपने सिंहासन पर बिठा दिया | राजा ने संत से राजदरबार में आने का कारण पूछा
तो संत ने राजा से दर्जी को छोड़ने की प्रार्थना की |राजा ने कहा कि आपकी प्रार्थना
मेरे लिए आदेश के समान है | राजा ने दर्जी को रिहा करने का तुरंत आदेश दे दिया |
पढ़िए : सम्मान की रक्षा
राजा ने संत
से पूछा कि यह दर्जी तो रोज रात को
शराब पीकर हंगामा करता है और गालियां निकालता है फिर भी आप इसको छुड़वाने
के लिए क्यों आए हैं | संत ने कहा कि मैं पड़ोसी होने का धर्म निभाने आया हूं | दर्जी
भी राजा और संत की सारी बातें सुन रहा था
| अब दर्जी को अपने आचरण पर पश्चाताप हुआ | दर्जी ने अब कभी भी शराब न पीने का प्रण
किया और वह संत का शिष्य बन गया | एक पड़ोसी की अच्छाई ने दूसरे पड़ोसी की बुराई को
हमेशा के लिए खत्म कर दिया |
पढ़िए : आपसी समझ और भरोसा
No comments:
Post a Comment