एक विद्वान संत महात्मा थे | उनका सत्संग सुनने के
लिए दूर-दूर से लोग आते थे | सत्संग के बाद वह अपनी कुटिया में अपने शिष्यों और श्रद्धालुओं
के साथ धार्मिक चर्चा भी करते थे | भक्त उनसे अपना किसी भी तरह का संशय या पारिवारिक
समस्याओं का हल पूछते थे | संत महात्मा अपने ज्ञान और तर्कसंगत जवाब से उनके संशय और
समस्याओं का निराकरण कर देते थे |
ऐसे ही चर्चा में एक दिन एक श्रद्धालु
ने पूछा मैं एक गृहस्थ व्यक्ति हूं | मेरा अपने परिवार के सदस्यों से वैचारिक मतभेद
रहता है | इस कारण घर का वातावरण तनावपूर्ण रहता है | घर के वातावरण को सौहार्दपूर्ण
और सुख शांति वाला बनाने का उपाय बताइये |
संत कुछ देर शांत रहे फिर उन्होंने अपनी पत्नी को आवाज देकर कहा " एक मोमबत्ती
जलाकर दे जाओ " | संत की पत्नी मोमबत्ती जलाकर दे गयी | वह व्यक्ति आश्चर्य के
भाव से संत की ओर देखता है क्योंकि दोपहर का समय होने के कारण कुटिया में पर्याप्त
प्रकाश था | फिर संत महात्मा ने मोमबत्ती क्यों मंगवाई | थोड़ी देर के बाद संत महात्मा
ने पत्नी को फिर आवाज लगाकर कहा "थोड़े सेब काटकर दे जाना" | इस बार उनकी
पत्नी सेब के स्थान पर खीरे और टमाटर काटकर दे गयी |
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वह व्यक्ति सोचता है कि संत महात्मा
के तो अपने घर का ही वातावरण ठीक नहीं है | दिन के पूरे प्रकाश में मोमबत्ती जलाते
हैं और सेब मांगने पर खीरे टमाटर आते हैं | वह व्यक्ति यह सब देखकर संत महात्मा से
जाने की आज्ञा मांगता है | संत महात्मा उससे
कहते हैं कि आपको अपनी पारिवारिक समस्या का समाधान मिल गया होगा | वह व्यक्ति कहता
है आपने तो अभी तक मुझे कोई भी समाधान बताया ही नहीं है |
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तब संत ने कहा मैंने जब मोमबत्ती
मंगवाई तो मेरी पत्नी को भी दिखाई दे रहा था कि कुटिया में दोपहर का समय होने के कारण
पर्याप्त प्रकाश है | उसने यह सोच कर कि मोमबत्ती मंगवाई है तो कोई विशेष काम ही होगा इसलिए वह बिना कुछ कहे मोमबत्ती देकर चली
गयी | इसी प्रकार सेब मांगने पर वह खीरे और टमाटर देकर चली गई | संभव है कि उस समय
घर में सेब उपलब्ध ही न हों | यह सोच कर मैं चुप रहा | आपसी समझ होने के कारण अनावश्यक
बहस नहीं की | इसलिए किसी भी प्रकार का तनाव उत्पन्न नहीं हुआ |
पति-पत्नी को आपसी समझ बूझ से
एक-दूसरे के अवगुण के स्थान पर गुण देखने चाहिए | पति-पत्नी को अनावश्यक वाद-विवाद करके माहौल बिगाड़ने से बचना चाहिए | क्रोध और अहंकार
से बचना चाहिए | पति-पत्नी को एक दूसरे की
भावनाओं को समझते हुए एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए | उस व्यक्ति को अब समझ
आ गया था कि आपसी समझ की कमी के कारण ही उसका
गृहस्थ जीवन तनावग्रस्त है | गृहस्थ जीवन आपसी समझ और विश्वास से ही खुशहाल बनता है
| यही एक सफल और आदर्श गृहस्थ जीवन का मूल मंत्र है |
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