कमला एक गरीब स्त्री थी
| उसके पति का स्वर्गवास हो चुका था | उसका
लगभग चार-पांच साल का एक ही पुत्र था | अपने और पुत्र के भरण-पोषण के लिए वह लोगों
के घरों में सफाई और बर्तन मांजने का काम करती थी | कमला खुराना जी के घर में भी काम
करती थी | खुराना दंपत्ति बहुत ही अच्छे स्वभाव के थे | खुराना जी का एक प्राइवेट स्कूल
था | कमला की दयनीय स्थिति को देखते हुए खुराना जी ने कमला के बेटे महेश को अपने स्कूल
में मुफ्त में दाखिला दे दिया था तथा वह उससे हर महीने फीस भी नहीं लेते थे |
पढ़िए : अखियों के झरोखे से
समय तेजी से आगे बढ़ता रहा |
महेश अपनी लगन और पढ़ने में रुचि के कारण हर परीक्षा में सबसे अधिक नंबर लेकर पास होता
रहा | खुराना जी महेश को मदद, प्यार और मार्ग दर्शन देते रहे | उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी
खुराना जी ने महेश का दाखिला कॉलेज में करवा दिया था | पढ़ाई में होशियार होने के कारण
महेश को कॉलेज से छात्रवृत्ति भी मिलती थी
| पढ़ाई के लिए जरूरी अतिरिक्त खर्चों की व्यवस्था खुराना जी कर देते थे | महेश स्वयं
पढ़ने के साथ ही अपने से छोटी क्लास के बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाता था | महेश ने अपनी
पढ़ाई पूरी करके डिग्री प्राप्त कर ली | वह पूरी यूनिवर्सिटी में प्रथम आया था |
पढ़िए : आपसी समझ और भरोसा
महेश को अपनी योग्यता के आधार
पर दिल्ली के सबसे बड़े प्राइवेट शैक्षणिक
इंस्टीट्यूट में गणित के प्रोफेसर के तौर पर नौकरी मिल गयी | यहां पर बच्चों को प्रतियोगी
परीक्षाओं के लिए तैयारी करवाई जाती थी | इसके लिए उनसे मोटी रकम फीस के रूप में वसूली
जाती थी | कुछ ही समय में महेश के नाम की इतनी ख्याति हो गई थी कि बच्चे महेश के नाम
से ही उस इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने लग गए थे | जल्द ही इंस्टीट्यूट के मालिक ने
महेश का वेतन अप्रत्याशित रूप से बढ़ाकर Rs.75,000/- से Rs2,00,000/- कर दिया था क्योंकि
उसे मालूम हो गया था कि दूसरे इंस्टीट्यूट के मालिक अधिक वेतन का लालच देकर उसे अपने इंस्टिट्यूट में
नौकरी करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं |
पढ़िए : ईश्वर का चमत्कार
पढ़िए : सम्मान की रक्षा
महेश खुराना जी द्वारा किए गए
उपकारों को कभी भी भूल नहीं पाया था | वह भी खुराना जी के लिए कुछ करना चाहता था |
एक दिन वह खुराना जी के पास गया, उनके द्वारा आजतक की गयी सहायता के लिए धन्यवाद किया
और उनको २ लाख की राशि देते हुए उसे स्वीकार करने का आग्रह करने लगा | खुराना जी ने
धनराशि लेने से इनकार करते हुए कहा कि यदि तुम भुगतान करना ही चाहते हो तो तुम भी किसी
जरूरतमंद बच्चे की मदद कर देना |
महेश ने कुछ पल सोचा और खुराना
जी को कहा कि मैं आपकी बात से सहमत हूं मैं अपनी नौकरी छोड़ कर गरीब बच्चों को मुफ्त
में शिक्षा देने के लिए एक स्कूल खोल लेता हूं | खुराना जी ने कहा कि तुम नौकरी नहीं
छोड़ो | यदि तुम्हारा भविष्य सुरक्षित होगा और तुम सक्षम होंगे तभी तुम दूसरों की ज्यादा
अच्छी प्रकार से सहायता कर सकोगे | महेश को खुराना जी की बात सही लगी | हमेशा की तरह
आज फिर खुराना जी ने एक अच्छे भविष्य की ओर बढ़ने का मार्गदर्शन किया था |
पढ़िए : कहानी एक बदनाम फरिश्ते की
No comments:
Post a Comment