आज रविवार का दिन था | छुट्टी का
दिन होने के कारण सुनीता और उसके परिवार के सदस्य आज घर पर ही थे | सुनीता एक स्कूल
में अध्यापिका थी | दोपहर के लगभग चार बज रहे थे | सुनीता पिछले दो घंटे से स्कूल के
बच्चों के पेपरों की जांच कर रही थी | उसका पति मनोज उसके पास ही बैठा टेलीविजन देखने
का आनंद ले रहा था |
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सुनीता पेपरों की जांच करते करते
अचानक से सिसकने लग गई थी | सुनीता के सिसकने की आवाज मनोज के कानों तक भी पहुंच गयी
थी | मनोज ने ध्यान से पत्नी की ओर देखा और इसका कारण पूछा क्योंकि थोड़ी देर पहले
तक तो सुनीता बहुत खुश लग रही थी | सुनीता ने बताया "मैंने बच्चों को मेरी सबसे
बड़ी तमन्ना पर निबंध लिखने को कहा था | एक बच्चे ने अपनी तमन्ना टेलीविजन बनने की
बताई है" |
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सुनीता ने कहा "उसने इसका कारण भी बताया है
| यदि मैं टेलीविजन बन जाऊंगा तो पूरा परिवार मेरे नजदीक रहेगा | परिवार के सभी सदस्य
मुझे ध्यान से देखेंगे और सुनेंगे | पापा ऑफिस से आने के बाद मेरे साथ बहुत सा समय
बिताना पसंद करेंगे | सभी मेरे सामने बैठकर मुझे बहुत प्यार से देखते रहेंगे | टेलिविजन
बनकर मैं पूरे परिवार को खुशी दे सकूंगा और पूरे परिवार का साथ मिलता रहने से मुझे
भी ख़ुशी मिलेगी | यह सुनकर मनोज के दिल में भी उस बच्चे के प्रति हमदर्दी के भाव पैदा
हो गए | उसने महसूस किया कि बच्चे के माता पिता उसे पर्याप्त समय और प्यार नहीं दे
पा रहे हैं | बच्चे के शब्दों में दर्द और वेदना स्पष्ट रूप से झलक रही थी | सुनीता
ने दर्द भरी आवाज में कहा कि "यह बच्चा कोई और नहीं बल्कि हमारा अपना ही बेटा
अक्षय है" |
सुनीता और मनोज को यह एहसास हो
गया था कि वह बेटे की मासूम भावनाओं को समझ नहीं पाए | वर्तमान युग में सभी के पास
समय का अभाव है | यदि हम अपना अधिकांश समय टेलिविजन पर प्रोग्राम देखने में और मोबाइल
पर व्हाट्सएप और फेसबुक चलाने में बिता देंगे तो यह हमारे बच्चों के प्रति अन्याय होगा
| बचपन में बच्चों को अपने माता पिता के साथ समय बिताकर तथा वृद्धावस्था में माता पिता
को अपने बच्चों के साथ समय बिता कर सबसे अधिक खुशी प्राप्त होती है | अपने रिश्तो के
प्रति अपनी जिम्मेदारी न भूलें | रिश्तो में प्यार और स्नेह का एहसास सदा बनाए रखें
|
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