एक राजा था | वह बहुत ही क्रूर स्वभाव का था | उसने प्रजा को भयभीत किया हुआ था | वह प्रजा पर तरह-तरह के कर लगा कर उनसे पैसा वसूल करता था | इस प्रकार उसने बहुत दौलत सोना, हीरे, और मोती जमा कर लिए थे |
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उसने इस खजाने को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से एक सुनसान पहाड़ी की गुफा में छुपा दिया था | इस गुफा में छुपाए गए खजाने के बारे में उसने किसी को भी नहीं बताया था | उस गुफा का एक ही द्वार था | गुफा के द्वार पर लगाए गए ताले की दो चाबियां थी | एक राजा के पास रहती थी और दूसरी उसके बड़े राजकुमार के पास रहती थी | एक दिन अचानक राजा बिना किसी को सूचित किये अपना खजाना देखने के लिए इस गुफा मैं आ गया | दिन प्रतिदिन यह छुपा हुआ खजाना बढ़ता जा रहा था उसको देख देख कर राजा की खुशी और लोभ भी बढ़ता जा रहा था | हीरे मोतियों की चमक को देख कर राजा की आंखों में भी चमक आ रही थी और वह फूला नहीं समा रहा था |
उसी समय राजकुमार भी उसी गुप्त खजाने वाली पहाड़ी गुफा के नजदीक से होकर कहीं जा रहा था | राजकुमार भी खज़ाने वाली गुफा का निरीक्षण करने आ गया | खजाने की गुफा का खुला दरवाजा देखकर राजकुमार घबरा गया | उसे लगा कि वह दो दिन पहले ही यहां पर राजा के निर्देश पर हीरे और मोती छोड़ कर गया था तभी शायद वह दरवाजे को ताला लगाना भूल गया होगा | राजकुमार ने जल्दी से दरवाजे को ताला लगाया और निश्चिंत होकर वहां से चला गया |
खजाने को देख-देख कर खुश होने के बाद राजा जब वापस जाने के लिए दरवाजे पर आया तो उसने देखा कि दरवाजा तो बाहर से बंद हो चुका था | राजा ने जोर-जोर से चिल्लाना और दरवाजा खटखटाना शुरू कर दिया लेकिन उस सुनसान पहाड़ी पर उसकी आवाज सुनने वाला दूर-दूर तक कोई भी नहीं था | राजा का बहुत देर तक चिल्लाते रहने के कारण पानी की प्यास से गला सूख गया था | राजा गुफा में कैद होकर रह गया था | जहां पर न पीने के लिए पानी था और न खाने के लिए रोटी थी | राजा को अब जीवित बचने की कोई आशा की किरण दिखाई नहीं दे रही थी | उसे अपना अंधकारमय भविष्य और मौत स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी | राजा मजबूर और असहाय होकर हीरे मोतियों और अपार खजाने को देखकर सोच रहा था कि बेईमानी से इकट्ठा किया हुआ यह खजाना भी मुझे एक घूँट पानी और एक टुकड़ा रोटी भी नहीं दे सकते |
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राजा को अब अपने किए हुए गलत कर्मों का एहसास होने लग गया था | उसे विश्वास हो गया था कि यह उसके किए हुए गलत कर्मों का ही फल है | वह अपनी मृत्यु से पहले दुनिया को अपने अनुभव के आधार पर संदेश देना चाहता था लेकिन यहां पर लिखने के लिए कागज कलम नहीं थे | राजा ने अपने हाथ की उंगली पर पत्थर मारकर अपने बहते हुए खून से दीवार पर एक संदेश लिख दिया |
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उधर लापता राजा को ढूंढने का राज परिवार और सेना ने बहुत प्रयत्न किया लेकिन राजा नहीं मिला | एक दिन राजकुमार गुप्त खजाने का निरीक्षण करने गुफा में गया तो उसने देखा कि राजा हीरे जवाहरातों के पास मरा पड़ा था | दीवार पर राजा का संदेश लिखा हुआ था कि “यह सारी दौलत भी एक घूंट पानी और एक रोटी का टुकड़ा नहीं दे सकी” |
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यही जीवन की सच्चाई है | जीवन में किए हुए नेक कर्म ही अंतिम समय में इंसान के काम आते हैं | बेईमानी से कमाई गई दौलत यहीं पर रह जाती है | इसलिए निस्वार्थ भाव से भलाई के काम कीजिए अच्छे कर्मों की अनमोल दौलत ही सदैव आपके काम आएगी |
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