दो दोस्त एक ज्योतिषी के पास अपना भाग्य जानने
के उद्देश्य गए | ज्योतिषी बहुत ही योग्य था
| उसने ज्योतिष विज्ञानं के अनुसार अच्छी प्रकार
से उनके ग्रह-नक्षत्रों का अध्ययन किया | उसके बाद उसने पहले दोस्त
को बताया कि आपके भाग्य में राजयोग है | तुम्हारा राजा बनना निश्चित है | वहीं
दूसरे दोस्त को बताया कि आप सावधान रहना, आपके साथ कोई बड़ी दुर्घटना होने की पूरी
संभावना है | अपने भविष्य की जानकारी लेने के बाद दोनों दोस्त अपने-अपने घर वापस आ
गए | भविष्य की जानकारी एक दोस्त के लिए जहां खुशी का कारण बन गई थी, वहीं दूसरे दोस्त
के लिए दुख का कारण बन गयी थी |
पहला दोस्त अपने भविष्य के प्रति पूरी तरह
आश्वस्त हो गया था | अब उसने भविष्य की चिंता करनी छोड़ दी थी | उसे अपने भविष्य के लिए कोई योजना बनाने की आवश्यकता ही नहीं
लग रही थी | उसने अपना काम धंधा करना बिल्कुल ही बंद कर दिया था | और भोग विलास की
जिंदगी जीना शुरु कर दिया था | उसकी वित्तीय स्थिति दिन पर दिन खराब होने लग गयी थी
| वही दूसरा दोस्त भविष्य के प्रति किसी अनिष्ट
की संभावना से अत्यंत सावधान हो गया था | उसने भाग्य से समझौता करने के स्थान पर भाग्य
से संघर्ष करने का निर्णय लिया | उसने अपनी योग्यता और आत्मविश्वास के बल पर निरंतर
मेहनत के साथ कर्म करना शुरू कर दिया | उसका दिन-प्रतिदिन विकास होना शुरू हो गया था
|
उस राज्य के राजा का कोई भी पुत्र नहीं था
| राजा स्वयं भी बूढ़ा हो चुका था और उसका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रहता था | इसलिए राज्य
के सुरक्षित भविष्य की दृष्टि से उसने कोई योग्य उत्तराधिकारी की व्यवस्था करने का
निर्णय लिया | उसने राज्य भर में घोषणा कर दी कि उत्तराधिकारी के चुनाव के लिए राजा
स्वयं परीक्षा लेगा | और योग्य उम्मीदवार के
हाथ में राज्य के शासन की बागडोर सौंप देगा | अन्य उम्मीदवारों के साथ इन दोनों दोस्तों
ने भी राजा के निर्वाचन की परीक्षा में भाग लिया | दूसरा दोस्त इस परीक्षा में उत्तीर्ण
होकर राजा बन गया |
उत्तराधिकारी
के चुनाव की परीक्षा के इस परिणाम से पहला दोस्त बहुत अचंभित हुआ | वह तत्काल भविष्यवाणी
करने वाले ज्योतिषी के पास गया और उसकी भविष्यवाणी गलत होने के बारे में उसे बताया
| ज्योतिषी ने भविष्यवाणी के बाद की सारी बातें
विस्तार से बताने के लिए कहा | पहले दोस्त ने दोनों के किए हुए कर्मों की जानकारी ज्योतिषी
को दी | तब ज्योतिषी ने कहा ‘ तुम भाग्यवादी बनकर कर्महीन हो कर रह गए , वहीं तुम्हारे दोस्त ने अपनी योग्यता एवं आत्म विश्वास
के बल पर पुरुषार्थ से कर्म करते हुए अपने उज्जवल भाग्य का निर्माण कर लिया ‘ | अच्छे
कर्म करने से व्यक्ति सौभाग्यशाली बनता है तो बुरे कर्म करने से दुर्भाग्य का पात्र
बनता है | ‘ कर्म ही पूजा है ' ऐसा कहा जाता है | ' भाग्य ही पूजा है ' ऐसा कोई नहीं
कहता | इससे स्पष्ट है कि कर्म भाग्य से बड़ा होता है | अपनी योग्यता और क्षमता का
विकास मनुष्य स्वयं करते हुए योजनाबद्ध तरीके से कर्म करके अपने भाग्य का निर्माण करता है | आप
एक आर्किटेक्ट बनकर अपने भाग्य को मनचाहा आकार दे सकते हैं | कर्म की शक्ति से मनुष्य
नर से नारायण बनने की शक्ति रखता है |
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