नवरात्रि हिन्दुओं द्वारा मनाए जाने वाला एक
प्रमुख पर्व है | इसे पूरे भारत में श्रद्धा और विश्वास से मनाया जाता है | नवरात्रों
में दुर्गा माता के नौ रूपों की पूजा होती है, इसीलिए इसे नवदुर्गा पर्व भी कहते हैं
| नवरात्रे प्रत्येक वर्ष में दो बार चैत्र
माह में और अश्विन माह के शुक्ल पक्ष में मनाये
जाते हैं |
नवरात्रि और दुर्गा पूजा मनाने के संबंध में
दो कथाएं प्रचलित है | पहली कथा के अनुसार भगवान राम ने रावण को युद्ध में परास्त करने के लिए चंडी देवी की पूजा का आयोजन किया |
इस पूजा में विधि के अनुसार 108 नील कमल के
फूल अर्पित करने का प्रावधान होता है | रावण ने अपनी मायावी शक्तियों से एक नील कमल
के फूल को वहां से गायब करवा दिया | भगवान राम ने जब पूजा की सामग्री में एक नीलकमल
का फूल कम पाया तो उन्होंने अपनी आंख फूल की जगह अर्पित करने का निश्चय किया | जब भगवान
श्री राम अपनी आंख निकालने की तैयारी कर रहे थे तब साक्षात् चंडी देवी माता ने प्रकट
होकर भगवान राम को युद्ध में विजयी होने का आशीर्वाद दिया था |
पढ़िए : परोपकार की श्रंखला
पढ़िए : परोपकार की श्रंखला
दूसरी कथा के अनुसार दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य
ने महिषासुर को अमरत्व का वरदान प्राप्त करने
के लिए तपस्या करने के लिए प्रेरित किया | महिषासुर ने कठिन तपस्या की | तपस्या से
प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने महिषासुर को वरदान
मांगने के लिए कहा | महिषासुर ने ब्रह्मा जी से वरदान मांगा कि उसे न कोई देवता मार
सके और न ही कोई आदमी मार सके | ब्रह्मा जी ने
महिषासुर को ऐसा वरदान दे दिया | महिषासुर इस प्रकार का अमरत्व का वरदान प्राप्त
करने के बाद उसका दुरुपयोग करने लगा | उसने सूर्य, चंद्रमा, इंद्र एवं वायु आदि देवताओं से उनकी शक्तियों को छीन लिया
और उनके स्थान पर खुद राज करने लगा |
पढ़िए : ईश्वर का चमत्कार
देवता देवलोक छोड़ने के लिए विवश होने लगे
थे | सब देवताओं ने मिलकर अपनी दिव्य शक्तियों से दुर्गा माता की रचना की | सभी देवताओं
ने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को महिषासुर का वध करने के लिए दे दिए | सब देवताओं की शक्तियां और अस्त्र प्राप्त होने
से देवी दुर्गा शक्तिशाली बन गयी थी | देवी दुर्गा ने महिषासुर के साथ 8 दिन तक युद्ध किया, नौवें दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया
|
नवरात्रों
के 9 दिनों में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है :-
प्रथम नवरात्रे पर शैलपुत्री
दूसरे नवरात्रे पर ब्रह्मचारिणी
तीसरे नवरात्रे पर चंद्र घंटा
चौथे
नवरात्रे पर कुष्मांडा
पांचवें नवरात्रे पर स्कन्द माता
छठे नवरात्रे पर कात्यायनी
सातवें नवरात्रे पर कालरात्रि
आठवें
नवरात्र पर महागौरी
और नवम नवरात्र पर सिद्धिदात्री देवी की पूजा की
जाती है |
दुर्गा
माता की पूजा के विशेष मंत्र :-
1.
जय माता दी
2.
सब प्रकार के कल्याण के लिए :-
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे स्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्र्यंबके त्र्यम्ब्के गौरि नारायणि नमोस्तुते
||
3.
विपत्ति नाश के लिए :-
शरणागतदीनार्त परित्राणं परायणे |
सर्वस्यार्तिहरे देवी नारायणी नमोस्तुते
||
उपरोक्त
तीनों मंत्रों में से किसी एक मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए | नवरात्रों में भक्त
अपने घर घी या तेल के दीपक से अखंड ज्योति जलाते हैं | नवरात्रों में भक्त उपवास भी
रखते हैं | इन दिनों घर में प्याज, लहसुन,
सिगरेट तथा शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
| अष्टमी या नवमी के दिन कन्याओं का पूजन करना
चाहिए |
No comments:
Post a Comment