आज मंदिर में विशेष रौनक थी | मंदिर से एक
विशेष बस हिमाचल प्रदेश तीर्थ स्थान के दर्शन के लिए जा रही थी | यह व्यवस्था मंदिर
कार्यकारिणी समिति और भक्तों के सहयोग से हुई थी | पिछले 3-4 वर्षों से लगातार ऐसी
यात्राओं का आयोजन किया जा रहा था | ट्रैवल एजेंसी भी बस का केवल उतना ही किराया लेती
थी, जितनी उनकी लागत आती थी | धार्मिक आस्था और विश्वास पर आधारित ऐसी यात्राओं पर
जाने का सभी भक्तों को बहुत आनंद आता था | इसीलिए भक्त आगामी यात्रा का बेसब्री से
इंतजार करते रहते थे | तीर्थ स्थान पर जाने वाले सभी भक्त आकर अपनी सीटों पर बैठ चुके
थे | बस के रवाना होने का निर्धारित समय रात्रि के 11:00 बजे का था | अपने निर्धारित
समय पर बस यात्रा के लिए रवाना हो गई | बस के चलते ही सभी भक्तों ने भगवान के जयकारे
लगा कर यात्रा का शुभ आरम्भ किया |
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रात का समय और ठंडी हवा के आते हुए झोंकों
के कारण थोड़ी देर में ही सभी यात्री सो गए थे | थोड़ी देर बाद बाहर तेज बरसात होनी शुरू हो गई थी | लगातार हो रही बारिश
के कारण ड्राइवर बस को सामान्य रफ्तार से आहिस्ता चला रहा था | सुबह के लगभग 4:00 बजे
का समय हो चुका था | बस के बाहर अब हल्की बूंदाबांदी
हो रही थी | लेकिन अचानक आकाश में बहुत जोर से बादल गरजने लगे और बिजली चमकने लगी
| बादल गरजने की आवाज इतनी तेज थी कि सभी यात्री
नींद से उठ गए थे | ऐसे लग रहा था जैसे बस के नजदीक ही आकाश से बिजली गिरी हो | लगातार
जोर से बादल गरजने से और भयंकर रूप से बिजली गिरने के कारण यात्री अब कुछ सहम गए थे
|
मंदिर के पंडित जी भी यात्रा में साथ ही गए
थे | पंडित जी ने इस स्थिति का फायदा उठाने के उद्देश्य से भक्तों को कुछ दान पुण्य
करने की सलाह दी | देखते ही देखते सभी भक्तों ने पंडित जी को दान स्वरूप ₹50-100
के नोट देने शुरू कर दिए | पंडित जी ने अनुमान लगाया कि उन्हें कम से कम ₹3000
प्राप्त हो चुके थे |
अब
उनका लालच कुछ और बढ़ गया था | वह भक्तों को अंधविश्वास में फंसाकर उनसे और पैसे ऐंठने
की योजना बनाने लगे | इतने में बस के नजदीक ही एक बार फिर भयंकर आवाज के साथ बिजली
गिरी | पंडित जी ने कहा कि ऐसा लगता है किसी मनहूस प्राणी के कारण हम सब के प्राण खतरे
में पड़ रहे हैं | कुछ भक्त पंडित जी के अंधविश्वास के जाल में फंसने शुरू हो गए थे
उन्होंने पंडित जी से इस स्थिति से बचाव का उपाय बताने को कहा | पंडित जी ने उपाय बताया
कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति बारी-बारी से बस में से उतरकर सामने बस स्टैंड तक जाकर
वहां मात्र आधा मिनट रुककर वापस आ जाये | इससे पता चल जाएगा कि किस मनहूस प्राणी पर
बिजली गिरनी है और किसके कारण हम सब के प्राण
संकट में पड़े हुए हैं |
बस में ओमजी भी यात्रा कर रहे थे | सज्जन स्वभाव
और धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान होने के कारण उन्होंने सभी यात्रियों को समझाया कि ऐसा
भी हो सकता है कि किसी एक नेक व्यक्ति के कर्मों के कारण ही हम सब के प्राण सुरक्षित
बचे हुए हों | लेकिन उनकी समझदारी की बात अन्धविश्वास
में फंसने के कारण इस समय पंडितजी और अन्य किसी को भी समझ नहीं आ रही थी |
एक-एक करके सभी यात्री बस से उतरकर बस स्टैंड
तक जाकर वापस आ चुके थे |अब अंतिम यात्री के तौर पर केवल ओमजी ही शेष रह गए थे | पंडित
जी ने उनको भी बस से उतर कर सामने बस स्टैंड तक जाकर वापस आने के लिए कहा | पंडित जी
के साथ कुछ यात्रियों द्वारा भी जोर देने के कारण ओम जी बस से उतरकर सामने बस स्टैंड
की तरफ चले गए | जैसे ही ओमजी बस स्टैंड पर पहुंचे वैसे ही भयंकर आवाज के साथ बिजली
बस पर गिरी और सभी यात्रियों के प्राणों का अंत हो गया | सकारात्मक सोच के सकारात्मक
परिणाम ही होते हैं जबकि नकारात्मक सोच के नकारात्मक परिणाम ही होते हैं |
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