पति पत्नी की जीवन शैली केवल उनके ही नहीं
बल्कि तीन पीढ़ियों के जीवन को प्रभावित करती है | यदि पति पत्नी एक दूसरे की भावनाओं,
आत्म सम्मान और अपेक्षाओं का पारस्परिक सम्मान करते हुए समझदारी एवं प्रेम पूर्वक
परिवार का बेहतर प्रबंधन करते हुए सुखी जीवन का आनंद ले रहे हैं, तो वह स्वयं यानी
वर्तमान पीढ़ी, पिछली तथा भावी पीढ़ी की खुशियों का आधार बनते हैं | केवल एक परिवार के द्वारा जीवन जीने के लिए उठाए गए सही
कदम से तीन पीढ़ियां खुशहाल बनती हैं | पारिवारिक जीवन के इतने दूरगामी परिणामों
को प्रायः हम समझ ही नहीं पाते हैं | यही हमारे
परिवारों के दुखों का कारण भी बन जाता है | पारिवारिक जीवन ही सुख, शांति तथा
समृद्धि का आधार होता है | जिनका पारिवारिक
जीवन खुशियों से भरा होता है उनके लिए जीवन स्वर्ग समान हो जाता है | दूसरी ओर जिनका
पारिवारिक जीवन कलह पूर्ण होता है उनको इसी जीवन में नर्क के साक्षात दर्शन हो जाते
हैं |
पति पत्नी के आपसी संबंधों से ही परिवार की
सफलता-असफलता, उन्नति-अवन्नति की दिशा निर्धारित
होती है | यह सर्वविदित है कि कोई भी मनुष्य
सर्व गुण सम्पन्न नहीं होता | ऐसे में आपका ही पति या पत्नी सर्वगुण संपन्न हो ऐसी
आशा करना निरर्थक हो जाता है | यदि आपके पति या पत्नी में बहुत से गुण हैं तो कुछ कमियां होना भी संभव है
| ऐसे में पति या पत्नी को उसके इसी रूप में स्वीकार करना ही श्रेष्ठ होता है | उसकी
कमियों के लिए मजाक उड़ाने के स्थान पर एकांत में इस विषय पर उससे चर्चा करनी चाहिए और उसे उन कमियों को सुधारने के
लिए प्रोत्साहित करना चाहिए | उसे इस प्रकार विश्वस्त करना चाहिए कि उसका व्यक्तित्व
बहुत प्रभावशाली है और इन कमियों को सुधारने से और प्रभावशाली बन जायेगा | इस प्रकार
के सुखद परिवर्तन से उसके व्यक्तित्व में और ज्यादा निखार लाया जा सकता है, और पारिवारिक
जीवन और अधिक खुशियों से भरपूर किया जा सकता है | पति पत्नी के द्वारा परस्पर सम्मान
की भावना रखकर जीवन निर्वाह करने से परिवार में मधुरता बनी रहती है |
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इस प्रकार का मर्यादित जीवन जीने वाले पति
पत्नी समाज में विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं | उन्हें जीवन के प्रत्येक मार्ग
पर निरंतर विकास करते हुए सफलता प्राप्त होती
रहती है | जीवन के अन्य क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने वाले व्यक्ति भी इनसे आकर्षित
होकर इनसे जुड़ने में गौरवान्वित महसूस करते हैं |
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जीने के इस अंदाज से एक ओर अपना जीवन खुशियों
से भरपूर होता है वहीं दूसरी ओर हमारे माता पिता यह देख कर खुशी अनुभव करते हैं | क्योंकि
हर माता-पिता यही चाहता है कि उसकी संतान की जीवन की बगिया खुशियों से महकती रहे |
जीवन की इस संध्या वेला में माता-पिता बच्चों
की खुशियों में ही अपनी खुशियां ढूंढते हैं | बच्चों को जीवन के हर क्षेत्र में प्राप्त
होती हुई सफलता माता-पिता को आनंदित कर देती है |
माता-पिता बच्चे के प्रथम गुरु होते हैं |
बच्चा माता-पिता को ही अपना आदर्श मानकर उनसे ही संस्कार ग्रहण करता है | बच्चा माता-पिता से ही
अनुशासित तथा प्रसन्न रहना सीखता है | घर परिवार
में सौहार्दपूर्ण वातावरण होने से बच्चे माता-पिता के नियंत्रण में आनंदित जीवन जीते
हैं | परिवार की खुशियों का पूरी तरह से प्रभाव भावी पीढ़ी पर भी पड़ता है | इस प्रकार
" आपका खुशियों भरा परिवार, आपकी तीन पीढ़ियों की खुशियों का आधार
" कहना सर्वथा उचित है |
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