Image Source : Mera Gaon Mera Desh Movie
सेठ जी की पत्नी ने सुझाव दिया कि अपने गुरुदेव
की शरण में जाकर शांति पाने का कोई उपाय पूछे
| सेठ जी को यह सुझाव उचित लगा | अगले दिन ही वह अपने गुरूजी की शरण में पहुंचे तथा
अपनी व्यथा उन्हें बताई | मन की शांति पाने के लिए गुरूजी से उचित मार्गदर्शन करने
की प्रार्थना की | गुरुदेव ने हानि और लाभ को समान भाव से लेने के लिए कहा | सेठ जमुनालाल
ने कहा कि दोनों ही विपरीत स्थितियां हैं उन
दोनों में समान भाव से कैसे रहा जा सकता है | वह गुरु जी की बात से सहमत नहीं
लग रहा था | सेठ का अनमना सा भाव देखकर गुरुजी
उसके मन की स्थिति समझ गए | उन्होंने कहा कि थोड़ी दूरी पर एक व्यापारी है उसके पास
जाओ तुम्हें वहाँ पर आनंदित और सदा संतुष्ट
रहने का तरीका मिल जाएगा | अब उन्हें गुरुदेव के पास आना व्यर्थ लगने लगा था | जिस परेशानी
का हल स्वयं गुरुदेव भी नहीं सूझा सके, उसका
समाधान एक सामान्य व्यापारी क्या कर पायेगा
| गुरुदेव से आज्ञा लेकर जमुनालाल जी उस व्यापारी के व्यापार स्थल की ओर चल दिए |
थोड़ी देर में ही सेठ जमुनालाल जी उस व्यापारी
की दुकान पर पहुंच गए | उस व्यापारी की बड़ी सी
दुकान और प्रभावशाली व्यक्तित्व को देखकर सेठ जी समझ गए कि यह भी मेरी तरह एक
बड़ा व्यापारी है | वह व्यापारी कुछ लोगों से बातचीत करने में व्यस्त था | जमुनालाल
जी व्यापारी को प्रणाम करके उससे थोड़ी दूरी पर बैठकर उसकी तरफ ध्यान से देखने लगे
| इतने में व्यापारी का मुनीम आया जो कुछ तनावग्रस्त लग रहा था | उसने व्यापारी को
बताया कि ' अपने गोदाम में रखे हुए अनाज की
चोरी हो गई है | रात को ट्रक में भरकर कोई अनाज के बोरे चुरा कर ले गया है ' | व्यापारी
ने कहा कि ' कोई बात नहीं जीवन में ऐसा तो होता ही रहता है ' | उसके बाद वह बड़े ही
शांत भाव से पुनः बात करने में व्यस्त हो गया | सेठ जमुनालाल जी यह देख कर हैरान हो
रहे थे कि व्यापारी ने इस नुकसान पर किसी भी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया ही प्रकट नहीं की थी और बिल्कुल
सहज शांत था | सेठ जी यह सोचने लगे कि यदि यह हादसा उनके साथ होता तो वह कितने तनाव
में आ जाते और शायद नंगे पांव ही गोदाम की ओर भाग जाते | कुछ समय के बाद मुनीम मुस्कुराता
हुआ आया और उसने व्यापारी को कहा कि ' चोर
पकड़े गए हैं और अनाज भी बरामद हो गया है ' | व्यापारी ने फिर शांति के साथ केवल इतना
ही कहा कि 'जीवन में ऐसा तो होता ही रहता है
' | सेठ जमुनालाल जी के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि व्यापारी ने इस नुकसान
की भरपाई होने की सूचना पर भी किसी भी प्रकार की
कोई प्रतिक्रिया प्रकट नहीं की थी
| व्यापारी पुनः बिल्कुल सहज शांत था | सेठ
जी को व्यापारी का तटस्थ भाव अच्छा लगने लगा | गुरुदेव द्वारा यहां भेजना अब उन्हें
उचित लगने लगा था |
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